फूलों का तारों का सबका कहना है
एक हज़ारों में मेरी बहना है
सारी उम्र हमें संग रहना है….
यह कुछ गीत है जो भाई बहन के रिशतें में नई ऊर्जा भर देते है। भाई बहन का रिश्ता दुनिया का बहुत ही खूबसूरत रिश्ता है। हर भाई चाहता है की वो जिंदगी के हर कदम पर अपनी बहन को खुश रखे चाहे वो बहन का जन्म दिन हो या उसके शादी का दिन हर भाई उसे खूबसूरत बनाना चाहेगा। इन सब अवसरों में रंग भरने के लिए हिन्दी फिल्मों के गीत बहुत ही ज्यादा कारगर साबित हो सकते है। आज इस लेख में कुछ बहुत ही सुंदर हिन्दी फिल्मों के सॉन्ग की लिस्ट आप तक लेकर आए है।
फिल्म – हरे रामा हरे कृष्णा
फूलों का तारों का सबका कहना है
एक हज़ारों में मेरी बहना है
सारी उम्र हमें संग रहना है
फूलों का तारों का सबका कहना है
एक हज़ारों में मेरी बहना है
सारी उम्र हमें संग रहना है..
फिल्म- मजबूर
देखा फूलों को काँटों पे सोते हुए
देखा तूफ़ाँ को कश्ती डुबोते हुए
देख सकता हूँ मैं कुछ भी होते हुए
नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे रोते हुए
नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे रोते हुए
देख सकता हूँ मैं कुछ भी होते हुए…
फिल्म - बांधीनी
अब के बरस भेज भैया को बाबुल
सावन ने लीजो बुलाय रे
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखीयाँ
देजो संदेशा भिजाय रे
फिल्म - काजल
मेरे भैया, मेरे चंदा, मेरे अनमोल रतन
तेरे बदले मैं जमाने की कोई चीज़ ना लूँ
मेरे भैया, मेरे चंदा, मेरे अनमोल रतन
तेरे बदले मैं जमाने की कोई चीज़ ना लूँ
फिल्म – डोली सजा के रखना
झूला बाँहों का आज भी दो ना मुझे
भैया गोद में उठाओ न आज मुझे
कद से हूँ बड़ी मन से छोटी मैं आज भी मान लो ज़िद मेरी
झूला बाँहों का आज भी दो ना मुझे..
फिल्म - हम तुम्हारे हैं सनम
तारों का चमकता गहना हो
फूलों की महकती वादी हो
उस घर में खुशहाली आये
जिस घर में तुम्हारी शादी हो
फिल्म – क्या कहना
दिल का कोई टुकड़ा कभी दिल से जुड़ा होता नहीं
अपना कोई जैसा भी हो अपना है वो दूजा नहीं
यही वो मिलन है जो सचमुच है दिल का करार क्या कहना
खिले खिले चेहरों से आज घर है मेरा गुले गुलज़ार क्या कहना..
फिल्म – आईना
सजना के घर तू जाएगी
याद हमे तेरी आएगी
जाके के पिया के देश मे
ना हमको बुलाना,
आंख बाबुल तेरी क्यो भर आई,
बेटियां तो होती है परायी
मेरी बन्नो की आएगी बरात
के ढोल बजाओ जी..
फिल्म – अग्निपथ
अभी मुझ में कहीं
बाकी थोड़ी सी है जिन्दगी
धूप में जलते हुए तन को
छाया पेड़ की मिल गयी
रूठे बच्चे की हंसी जैसे
फुसलाने से फिर खिल गयी..
हिन्दी सीरियल – वीर की अरदास विरा
क्यों भटक जाता हूँ में
इन टेढ़ी मेढ़ी गलियों में
तुझको ही बेरंग सा पाऊँ
इन सारी रंग रलियों में
कोई न समझा कोई न जाना
तू समझे मेरी पीड़ा
वीर की अरदास विरा..