मांगलिक दोष के उपाय

क्या मांगलिक की शादी मांगलिक से हो सकती है? मंगल दोष निवारण हे‍तु विवाह से पहले करें ये उपाय

मंगल दोष निवारण उपाय

मंगल दोष निवारण के उपायसन्तान के विवाह योग्य होते ही माता पिता को चिंता सताने लगती है। विशेष तौर पर यदि बालक या बालिका मांगलिक हो तो चिंता दोगुनी हो जाती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मांगलिक का विवाह केवल मांगलिक से ही हो सकता है। विवाह में देरी का एक बहुत बड़ा कारण मांगलिक दोष होता है।

मंगल दोष के लक्षण 

भारतीय समाज में मांगलिक दोष का बहुत हव्वा बना हुआ है। जैसे कि यदि कोई कन्या मांगलिक है तो ऐसा माना जाता है उसका विवाह यदि अमांगलिक लड़के से होता है तो लड़के की मृत्यु निश्चित है। जबकि हर स्थिति परिस्थिति के लिए धर्म ग्रंथो में सब प्रावधान बनाये गए है। अंधविश्वास यहाँ तक है कि यदि कोई मंगल को पैदा हुआ तो वो मांगलिक है जोकि बहुत ही हास्यस्पद बात है। माना जाता है कि मांगलिक व्यक्ति विन्रम, प्रभावशाली, होशियार, केंद्रित, अनुशासित व गुस्सेल होते है।मांगलिक दोष क्या होता है? मंगल दोष के लक्षण और उपाय कुंडली के बारह भाव होते है, सभी ग्रह किसी ना किसी भाव में स्थित होते है और उसी आधार पर उसका आंकलन किया जाता है।

जब मंगल ग्रह कुंडली के लग्न भाव अर्थात प्रथम, चौथे, सातवें, आंठवे और बारहवें भाग में स्थित होता है तो ऐसे में मांगलिक दोष माना जाता है। 

इसके अलावा भी सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए 5 बातों पर विचार किया जाता है।

  • स्वास्थ्य
  • भौतिक सम्पदा
  • दाम्पत्य सुख
  • अनिष्ट का प्रभाव
  • जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति

इन पांच बातो का प्रतिनिधित्व पहला, चौथा, सांतवा, आठवा, और बारहवा भाग करता है। इसलिए इन पांचों में मंगल की स्थिति को मांगलिक दोष कहते है।

किस स्थिति में मांगलिक का विवाह अमांगलिक से हो सकता है।

इन परिस्थितियों में मंगल दोष कारक नही माना जाता

  1. वर और कन्या की कुंडली मे से यदि एक कि कुंडली मे मंगल दोष के स्थान पर मंगल हो और दूसरे की कुंडली मे उसी स्थान पर सूर्य, शनि, राहु, केतु में से कोई ग्रह हो तो दोष नष्ट माना जाता है।
  2. कुंडली मे मंगल यदि स्वयं की राशि (मेष, वृश्चिक)
    मूलत्रिकोण, उच्च राशि(मकर)और मित्र राशि(सिंह , धनु, मीन )मे हो तो दोष नही माना जाता।
  3. कुछ राशियों में मंगल के भाव का कोई प्रभाव नही होता। जैसे यदि मेष राशि का मंगल प्रथम भाव मे, धनु का बारहवें में, वृष का सातवें में, वृश्चिक का चौथे में और कुंभ का आठवें में हो तो दोष नही होता।
  4. यदि शुभ ग्रह केंद्र में हो, शुक्र दूसरे भाव मे हो, गुरु मंगल साथ मे हो, या मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो दोष नही होता।
  5. सिंह लग्न और कर्क लग्न में लग्नस्थ मंगल दोष नही माना जाता।
  6. यदि कन्या और वर की कुंडली मे एक की कुंडली मे मंगल मांगलिक भाव मे हो और दूसरे की कुंडली मे उन्ही भाव मे मंगल, सूर्य, राहु, केतु या शनि हो तो दोष कट जाता है।
  7. कन्या की कुंडली मे यदि ब्रहस्पति ग्रह केंद्र या त्रिकोण में हो तो मांगलिक दोष नही लगता।
  8. यदि एक कुंडली मे मांगलिक दोष हो और दूसरी कुंडली के तीसरे, छठे या ग्याहरवें भाव मे राहु, मंगल या शनि हो तो दोष नष्ट माना जाता है।
  9. पांचों भाव(पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव मे) मंगल यदि चर राशि मेष, कर्क, तुला और मकर राशि मे हो तो मांगलिक दोष नही लगता।
  10. वर की कुंडली के जिस भाव मे मंगल मांगलिक दोष बनाता है यदि कन्या के उसी भाव में सूर्य, शनि या राहु हो तो दोष नष्ट माना जाता है।

मांगलिक दोष के उपाय

  1. ऐसा माना जाता है कि यदि 28 वर्ष की उम्र के बाद जातक का विवाह किया जाए तो मांगलिक दोष नही लगता।
  2. सबसे सर्वोत्तम है की हनुमान जी की उपासना करें, शनिवार या मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ सम्पुट लगाकर करें।
  3. मंगलवार को हनुमान उपासना के अलावा शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाकर, लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करे।
  4. लाल कपड़े में लाल वस्तुए जैसे लाल मसूर, लाल फूल, लाल चंदन कुछ मीठा और पैसे बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें।
  5. हर मंगलवार को चण्डिका स्त्रोत का पाठ करें।
    .शनिवार को 16 बार पीपल की परिक्रमा कर पीपल को जल दे।
  6. मांगलिक दोष वाली कन्या या वर अपने सोने के कमरे को लाल रंग से पेंट करवाए, बिस्तर पर लाल रंग की चादर बिछाए।
  7. हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाए।
  8. गणपति जी की पूजा और हाथी दांत रखना भी एक उपाय है।
  9. कन्या मंगली है तो विष्णु प्रतिमा विवाह अर्थात भगवान विष्णु की मूर्ति से विवाह।
  10. कुम्भ विवाह अर्थात घड़े से विवाह तथा अश्वत्थ विवाह अर्थात पीपल से विवाह करने से मांगलिक दोष समाप्त हो जाते है।
  11. यदि वर मांगलिक हो तो पिलखन और अर्क विवाह का भी उपाय किया जाता है।
  12. जिसमे पिलखन या आक के पौधे से विवाह किया जाता है।
    .वर लाल प्रिंट से छपी दुर्गा चालीसा का पाठ 108 बार करे,
  13. उसके बाद चंद्रमा की चांदनी में हवन करके परिक्रमा करें, फिर पुस्तक दान में दे तथा दक्षिणा दे।

 

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