जब कोई लड़की दुल्हन बनती है तो एक साथ बहुत सारी भावनाए एक साथ हलचल मचाती है। ऐसे में दुल्हन के 16 श्रृंगार उसके साथी, सखा सब बनते है। उनके सौंदर्य और महक दुल्हन को ढांढस बांधते है, उसे सौंदर्य में चार चांद लगाते है। ऋग्वेद में इन 16 श्रृंगारों का जिक्र किया गया है। आइए आपको बताते है क्या है दुल्हन के 16 श्रृंगार।
1-बिंदी
संस्कृत के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ती हुई है, पुराने समय मे सिंदूर या कुमकुम से भवो के बीच लगाई जाने वाली बिंदी अब रेडीमेड बनी हुई बाजारों में मिलती है।
वैज्ञानिक तथ्य
बिंदी लगाने का स्थान आज्ञा चक्र का स्थान है, बिंदी लगाने से एकाग्रता बनी रहती है। बिंदी से माथे की उस नस पर दबाव पड़ता है जिससे चेहरे की मसल्स को ब्लड सप्लाई होती है। इस प्रेशर से एक्सटर्नल वेव से मस्तिष्क की रक्षा होकर मस्तिष्क शांत रहता है।
2-सिंदूर
एक चुटकी सिंदूर दो लोगो को जन्मों का साथी बना देता है। सिंदूर सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक होता है। आजकल के समय मे कोई स्त्री चाहे रोज सिंदूर लगाए या ना लेकिन तीज, करवाचौथ जैसे मौके पर सिंदूर जरूर लगाती है।
वैज्ञानिक तथ्य
सिंदूर के प्रेशर से मस्तिष्क की नर्व कंट्रोल होती है, जिससे ऐसे हार्मोन्स का उत्पादन रुक जाता है जो मस्तिष्क को बेचैन करते है। लिक्विड रूप में मिलने वाली इकलौती धातु मरकरी सिंदूर में होती है। इससे मस्तिष्क स्ट्रेस फ्री रहता है, ठंडक मिलती है। सिंदूर शादी के बाद ही लगाया जाता है क्योंकि ये ब्लड सर्क्युलेशन बढ़ाने के साथ सेक्स क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है। इसमे उपस्थित रेड लेड ऑक्ससाइड से नसें कंट्रोल में रहती है। सिंदूर पिनियल और पिट्यूटरी ग्लैंड को कंट्रोल करता है, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है।
3-मांग टीका
मांग टीका 16 श्रृंगारों में से एक ऐसा श्रृंगार जो दुल्हन बनने पर या खास मौकों पर पहना जाता है।
राजस्थान के कुछ राजसी घरानों व रजवाड़ो में महिलाए रोज मांगटीका पहनती है, जिसे रखड़ी कहते है।
वेज्ञानिक तथ्य
मांगटीका शरीर की गर्मी को कंट्रोल रखता है, तनाव कम करता है।
4-काजल
काजल किसी भी स्त्री की आँखों की सुंदरता बढ़ा देता है। कहते हैं दुल्हन की आँखों मे लगा काजल उसे व उसके जीवनसाथी को बुरी नजर से बचाता है।
वेज्ञानिक तथ्य
इसमे उपस्थित कार्बन विभिन्न प्रकार की अशुद्धियों को आँखों से दूर रखता है।
6-मेहंदी
मेहंदी दुल्हन के 16 श्रृंगारों में क्या महत्व रखती है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते है कि मेहंदी के लिए अलग से एक फंक्शन रखा जाता है। ऐसा मानते है मेहंदी का रंग जितना डार्क होता है पति उतना ही ज्यादा प्यार करता है।
वेज्ञानिक तथ्य
मेहंदी शरीर तथा दिमाग को शीतलता प्रदान करती है।
7-शादी का जोड़ा
उत्तर भारत मे जरी, नगों से जड़ा लहंगा चोली, पूर्वी उत्तर और बिहार में लाल पीले रंग की साड़ी तथा महाराष्ट्र में हरे रंग का जोड़ा दुल्हन को पहनाया जाता है। रंग रूप कुछ भी हो पर शादी के जोड़े के बिना दुल्हन, कहीं दुल्हन लगती है।
8-गजरा
शादी के समय ही नही भारतीय महिलाए खास मौकों जैसे करवाचौथ और शादी की सालगिरह पर तो गजरा पहनती ही है। दक्षिण भारत में सौभाग्यवति महिलाएं गजरे को रोज के श्रृंगार में सम्मिलित रखती है, वहाँ हार सिंगार के गजरे पहने जाते है।
9-नथ या नथनी
पवित्र सात फेरो की अग्नि के समक्ष नाक में पहनी नथ अलग ही रौनक दिखाती है। उत्तर भारत मे नाक की बायीं तरफ तथा दक्षिण भारत मे नाक के दोनो तरफ पहनी जाने वाली नथ सुंदरता में चार चांद लगाती है। कभी कभी स्त्रियों नाक के बीचो बीच भी इसे धारण करती है, जिसे बुलाक कहते है।
वेज्ञानिक तथ्य
इसे पहनने से कफ नियंत्रित रहता है, सूंघने की शक्ति बढ़ती है।
10-कान के कुंडल या कर्णफूल
जितने डिज़ाइन और वैराइटी कुण्डलो की होती है शायद ही किसी और श्रृंगार की हो।
वेज्ञानिक तथ्य
मासिक धर्म नियमित होता है।
11-हार या मंगलसूत्र
मंगलसूत्र को विवाह और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। विवाह के समय बांधे जाने पर इसमे तीन गांठे लगती है जिसमे से एक गांठ पति तथा 2 गांठे लड़के की बहन बांधती है। मंगल सूत्र में कम हो या ज्यादा थोड़ा बहुत सोने की मात्रा भी रखी जाती है। किंतु पूराने समय मे पति केवल हल्दी में लिपटा हुआ धागा पत्नी के गले मे पहनाता था। इस धागे को पंडित जी द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ पहना जाता है। काले मोतियों और सोने को लेकर बहुत ही अलग अलग धारणाएं हैं। ज्योतिष के अनुसार मंगलसूत्र में लगा सोना गुरु यानी ब्रहस्पति का कारक होता है। यह जोड़े के ब्रहस्पति को मजबूत बनाता है,और सुखी। दाम्पत्य देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पत्नी की कुंडली मे पति का कारक ग्रह ब्रहस्पति होता है। साथ ही सोना भी ब्रहस्पति का ही प्रतीक होता है। ऐसा माना जाता है कि मंगलसूत्र में लगें काले मोती शनि,राहु,मंगल,और केतु के बुरे दुष्प्रभाव से शादीशुदा जोड़े को बचाता है।
12-बाजूबंद
यह कड़े जैसे ही आभूषण होता है लेकिन इसे कलाई की जगह बाजू पर पहना जाता है। ये थोड़ा कसा हुआ रहता है इसलिए इसे बाजूबंद कहते है।
वेज्ञानिक तथ्य
लिवर की बीमारी में लाभदायक।
13-कंगन या चूड़ियां
अलग अलग धर्म की अलग अलग रस्मो के हिसाब से इसके रंग रूप में भी परिवर्तन होता है। पंजाबी परिवार में चूड़ा तथा एक विशेष प्रकार का चूड़ियों जैसा आभूषण जिसे लहसुनी कहा जाता है पहनती है। लहसुनी में लहसुन की कलियां और जौं के दाने जैसी आकृतियां होती है। साथ ही चूड़ियों के साथ लटकते गहने को कलीरे कहा जाता है जिसका अपना अलग महत्व है। नवविवाहिता के हाथ मे लाल चूड़ियां, तीज के अवसर पर हरी चूड़ियां तथा होली के अवसर पर बसंती चूड़ियों का अलग ही महत्व है।
वेज्ञानिक तथ्य
चूड़ियों की खन खन से नेगेटिव एनर्जी दूर होती है, ऐसा माना जाता है इन्हें पहनने से नॉर्मल डिलीवरी होती है।
14-अँगूठी
मंगनी या सगाई की रस्म में लड़का लड़की को एक दूसरे को अंगूठी पहनाना सदियों से जारी है।
विदेशों में भी, अपनी प्रेमिका को शादी के लिए प्रोपोज़ करने के लिए लड़के इसी का प्रयोग करते है।अपने आप को कमिटेड या इंगजेड दिखाने के लिए इसी का प्रदर्शन किया जाता है।
वेज्ञानिक तथ्य
जिस फिंगर में रिंग पहनाई जाती हैं वहाँ से सीधी नर्व हार्ट तक जाती है जिससे तनाव नही होता और सम्बन्ध मधुर रहते है।
15-कमरबन्ध
सोने या चांदी से बना आभूषण जिसे कमर के चारो तरफ पहना जाता है। इसकी एक अलग ही शोभा होती है। घर की चाभियों को भी कमर बन्ध में बांध कर रखा जाता है। इस कारण ये घर की स्वामिनी होने का प्रतीक है।
वेज्ञानिक तथ्य
इससे महिलाओ में हर्निया की बीमारी नही होतीमासिक धर्म नियमित होता है।
16-बिछुए और पायल
पैर के अंगूठे और छोटी उंगली के बीच की तीन उंगलियों में रिंग की तरह पहने जाने वाला आभूषण है। ये सुहागनों का बहुत बड़ा प्रतीक है। ये हमेशा चांदी का बना होता है, सोने का नही क्योंकि सोने को पवित्र धातु माना जाता है इसलिए पैरो में नही पहना जाता है। किसी हिन्दू परिवार में बिछुए फेरो के समय सिलबट्टे पर पैर रखते समय दुल्हन की भाभी पहनाती है। किसी परिवार में लग्न लिखने के समय पर दुल्हन के मामा के मामा के घर से आए हुए बिछुए पहनाए जाते है। इसी प्रकार पायल भी चांदी की पहनी जाती है, पूरे घर मे नई दुल्हन की पायल की आवाज एक नई ऊर्जा देती है।
वेज्ञानिक तथ्य
ये स्त्री के हार्मोनल सिस्टम को सही रखते है, नर्वस सिस्टम और मसल्स मजबूत रहती है। चांदी एंटीबैक्टीरियल मेटल है, ये जमीन से पॉजिटिव एनर्जी लेकर ब्रेन नर्व को कंट्रोल करती है। गर्भधारण में आसानी होती है।