भारत के हर राज्य में शादी अलग अलग तरीके से की जाती है और शादी के रीति रिवाज अलग अलग है। कहीं रात में शादी होती है तो कहीं दिन में। हर शादी अपने आप में अनोखी है। पंजाबी शादी की बात कुछ अलग ही है पंजाबियों की शानो शौकत ठाट बाट अलग है। पंजाबी बहुत ही मजेदार लोग हैं जैसे पंजाबी मजेदार है वैसे ही उनकी शादियां भी मजेदार है। कोई भी पंजाबी शादी सरल हो या भव्य पर यह मजेदार जरूर है।
तो चलिए आज बात करते हैं पंजाबी शादी में दूल्हे की तरफ से कौन-कौन सी विवाह की रस्में निभाई जाती हैं।
- रोका
- शगुन (Shagun Ceremony)
- तेल हल्दी (Tel Baan Ceremony)
- संगीत (Sangeet Ceremony)
- सेहरा बंदी (Sehra Bandi Ceremony)
- सूरमा डालना
- घोड़ी चढ़ना (Ghudchadi Ceremony)
- मिलनी
- मांग भरना
शुभ विवाह की पंजाबी शादी की रस्में
रोका (Roka Ceromony)
किसी भी पंजाबी शादी की शुरुआत रोका Ceremony (Roka Ceremony) से होती है। यह समारोह दूल्हे के स्थान पर मनाया जाता है और इस समारोह में दुल्हन मौजूद नहीं होती। इस रस्म में होने वाले दूल्हे को मिठाई और पैसे दिए जाते हैं।
शगुन (Shagun Ceromony)
दूल्हे के घर में दुल्हन का पिता दूल्हे के माथे पर टीका करता है और उसे छुआरा खिलाता है।
तेल हल्दी (Tel Baan Ceromony)
पंजाबी रीति-रिवाज के हिसाब से, तेल हल्दी की रस्म शादी से 5 दिन पहले की जाती है लेकिन अब समय का अभाव होने के कारण ज्यादातर लोग इस रस्म को एक या 3 दिन तक ही निभाते हैं। कोई भी शादी बिना हल्दी के पूरी नहीं होती। कहते हैं कोई भी शुभ काम करना हो तो पहले हल्दी से शुरुआत करनी चाहिए।
संगीत (Sangeet Ceremony)
जिस दिन से तेल हल्दी की रस्म की शुरुआत की जाती थी उसी दिन की रात्रि से ही लेडीस संगीत(Ladies Sangeet) शुरू किया जाता था और यह शादी से 1 दिन पहले की रात तक चलता था पर अब ऐसा नहीं होता लेडीस संगीत की जगह ज्यादातर DJ Night की जाती है।
सेहरा बंदी (Sehra Bandi Ceremony)
शादी के दिन दूल्हे के तैयार होने पर एक पूजा आयोजित की जाती है और पंडित द्वारा इस पूजा में एक गुलाबी चुन्नी और सेहरा (dulhe ki pagdi) को आशीर्वाद दिया जाता है। दूल्हे की बहन उसे सेहरा बांधती है।
सूरमा डालना
दूल्हे की भाभी दूल्हे की आंखों में सुरमा डालती है और फिर वह घोड़ी पर चढ़ता है।
घोड़ी चढ़ना (Ghudchadi Ceremony)
पुराने समय मे घोड़ो पर बैठ कर युद्ध करने का चलन था। घोड़े को शौर्य और वीरता का प्रतीक माना गया है । भगवान राम भी अपने विवाह मे घोड़े पर बैठ कर गए थे । इसी कारण दूल्हा घोड़ी पर बैठ कर अपने नए जीवन की शुरुवात करता है।
gud chane ki rasam
जब बारात निकलती है तो दूल्हे की बहने घोड़ी को चने की दाल और गुड़ खिलाती है। दूल्हा अपनी बहनों को शगुन देता है।
मिलनी
जैसे ही बारात शादी के स्थान पर पहुंचती है वैसे ही दुल्हन का परिवार स्वागत करता है। दोनों परिवार के सदस्य एक दूसरे को गले लगाते हैं इस रस्म को मिलनी कहते हैं। मिलनी में दूल्हे का पिता दुल्हन के पिता से, दुल्हन का मामा दूल्हे के मामा से, दुल्हन का चाचा दूल्हे के चाचा से मिलनी करते हैं। वे एक दूसरे के गले में पुष्पमाला डालते हैं। दुल्हन के रिश्तेदार दूल्हे के रिश्तेदारों को शगुन के तौर पर उपहार देते हैं।
मांग भरना
दुल्हन के बालों को विभाजित करके दूल्हा सिंदूर भरता है यह दूल्हे और दुल्हन के एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है सिंदूर से सजी हुई मांग स्त्रियों के सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है । सिन्दूर को सिर के बीच में इसलिए भरा जाता है क्योकि ये नारी के शरीर का सबसे नाजुक हिस्सा होता है और सबसे ऊपर भी । अर्थात वो अपने पति को सबसे ऊपर का दर्जा देती है । और ये सिन्दूर सिर के आधे हिस्से तक भरा जाता है । कुछ जगह यह सोने की अंगूठी से भरा जाता है जबकि कुछ जगह चांदी की अंगूठी से । सोने की अंगूठी का तात्पर्य इतना है के लोग अक्सर सगाई की अंगूठी से सिन्दूर भरते है जबकि चांदी की अंगूठी का तात्पर्य इतना है के चांदी ठंडी मानी जाती है और इससे रिश्ते में नमी बानी रहती है। चांदी की अंगूठी की जगह चांदी का सिक्का भी इस्तेमाल किया जाता है ।