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आखिर क्यों होते है भारतीय लड़के शादी के लिए परफेक्ट?

[vc_custom_heading text=”शादी के लिए क्यो अच्छे होते है भारतीय लड़के” font_container=”tag:h1।text_align:left।color:%23ff3399″]हाल ही में हुए अध्ययन में ये बात सामने आई कि शादी के लिए सबसे अच्छे लड़के भारतीय लड़के होते है। ऐसा क्यों माना जाता है? ऐसा इसलिए मानते है क्योंकि भारतीय लड़के चाहे किसी भी परिवेश में रहें वो अपनी परम्परा, अपनी जड़ों के जुड़े होते है। परिवार को जोड़ कर रखने में विश्वास रखते है,सुख दुख में साथ देने वाले तथा सभी रिश्तों में बैलेंस बनाकर रखते है। यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है कि विदेशी महिलाओं को भी भारतीय लड़के जीवनसाथी के रूप में काफी पसंद आ रहे है। आइए जानते है वो कारण जो भारतीय लड़को को सर्वश्रेष्ठ वर की उपाधि देते है।
[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”जिम्मेदारी की भावना ” font_container=”tag:h2।text_align:left।color:%23ff3399″]माना जाता हूं कि भारत देश मे लड़को को बहुत ही लाड़ प्यार में पाला जाता है। उनसे कोई काम नही करवाया जाता,उनके कपड़े धोने से लेकर खाना देने और रोजमर्रा के दूसरे काम घर की स्त्रियां करती है। विदेशी लड़के इन कार्यो को थोड़ा जल्दी सम्भाल लेते है। लेकिन जब बात वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारियो की होती हैं तो यहाँ भारतीय लड़के बाजी मार लेते है। इसका बहुत बड़ा कारण भारत मे होने वाली वैवाहिक रस्मे है। इन रस्मो में जो वचन दिलवाए जाते है,इतने बड़े समाज के सामने लड़की का हाथ लड़के के हाथ मे दिया जाता है। इससे मानसिक तौर पर लड़के के मन मे जिम्मेदारी की भावना आ जाती है। केवल जिम्मेदारी की भावना आती ही नही बल्कि वो पूरी शिद्दत से उसे निभाते भी है। इसे आप परम्पराओ का प्रभाव माने या समाज का दबाव।
[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”भावनात्मक रूप से जुड़ाव” font_container=”tag:h2।text_align:left।color:%23ff3399″]भारतीय परिवार का ढांचा कुछ इस कदर होता है कि सभी सदस्य इमोशनली बहुत जुड़ाव रखते है। परिवार में लड़के अपनी माँ बहन से बहुत भावनात्मक रूप से जुड़े होते है। इसका एक कारण यहाँ के त्यौहार भी है, भाई दोज, रक्षाबंधन, अहोई जैसे पर्व रिश्तों की गर्माहट बनाए रखते है। यही गर्माहट लड़के अपने गृहस्थ जीवन मे बनाये रखते है, क्योंकि भावनात्मक जुड़ाव उनकी रगों में होता है।
[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”परम्पराओ से जुड़े हुए” font_container=”tag:h2।text_align:left।color:%23ff3399″]भारत मे होने वाले त्यौहार और इन त्योहारों पर पूरे कुनबे का इक्कट्ठा होना,  जाने अनजाने लड़को में परम्पराओ और रीति रिवाजों की जड़े मजबूत करता है। लड़का बाहर विदेश में हो या कहीं दूसरे राज्य में लेकिन त्यौहारों पर अपने परिवार के बीच आने पर वो उत्सव में तुरन्त घुल मिल जाते है।
[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”एक अच्छे पिता होते है” font_container=”tag:h2।text_align:left।color:%23ff3399″]अपने बच्चो के लिए जितना त्याग भारतीय पिता करते है।
ऐसा उदाहरण आपको किसी भी भारतीय परिवार में देखने को मिलेगा। पुराने समय में बच्चों की शिक्षा पर इतना ध्यान नही दिया जाता था। लेकिन आज के समय के भारतीय पिता, अपनी निजी जरूरतों को भूलकर बच्चों के स्वास्थ्य व शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा खर्च करते हैं। इसके लिए वो ज्यादा मेहनत करने से भी गुरेज़ नही करते।
[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”जीवनभर साथ निभाने वाले” font_container=”tag:h2।text_align:left।color:%23ff3399″]भारतीय समाज मे परिवार नाम की संस्था एक ऐसी से संस्था है जिसमे केवल पति पत्नी ही नहीं दूसरे सदस्य भी जुड़े होते है। किसी भी तरह के मनमुटाव या कलह में कोई भी निर्णय केवल पति पत्नी नही ले सकते। यही से सामाजिक ताना बाना पति को पत्नी से जोड़े रखता है। सुख दुख या किसी भी तरह की विपत्ति में भारतीय पति अपने परिवार की मदद से स्थिति को संभाल लेते है। इसी तरह अपने जीवनसाथी का जीवनभर साथ निभाते है। परिस्थितियों से डर कर पीछे नही हटते।
[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”आर्थिक रूप” font_container=”tag:h2।text_align:left।color:%23ff3399″]भारतीय लड़के शादी से पहले स्वयं को आर्थिक रूप से सम्बल करने में विश्वास रखते है। वे मानते हैं की विवाह तभी करना चाहिए जब आप विवाह के बाद आने वाली जिम्मेदारियो को भली भांति निभा सके। इसके लिए वे ना उम्र के बारे में सोचते है ना समय के बारे में। उनका ध्येय होता है अपनी होने वाली जीवनसंगिनी की इच्छाओं का ध्यान रखना,उन्हें अच्छा जीवन देना।
[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”रिश्तों में बैलेंस बनाना” font_container=”tag:h2।text_align:left।color:%23ff3399″]भारतीय लड़के रिश्तों में बैलेंस बखूबी करना जानते है।शादी के बाद केवल लड़की का जीवन ही नही बदलता, लड़के को भी बहुत सी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। चाहे वो पत्नी और माँ के बीच मे सामंजस्य बिठाना हो, चाहे ससुराल और अपने परिवार की स्थितियों का आंकलन कर बातो को संभालना। पत्नी को नए परिवार के हिसाब से ढालना हो या खुद को पत्नी के अनुसार बदलना। इन सभी स्थितियों को भारतीय पुरुष बहुत अच्छे से सम्भालते है। केवल पत्नी और माँ ही नही, पत्नी और अपने बहन भाईओ के बीच सामंजस्य बिठाना भी एक चुनोती होती हैं। जिसे वे केवल सहर्ष स्वीकार ही नही करते अपितु पूर्ण भावना से निभाते भी है।
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