- केले के पत्ते
केले में भगवान विष्णु का वास माना जाता है, साउथ में आज भी विवाह के समय ना केवल केले के पत्तो से मंडप सजाते है, बल्कि फल से लदे केले के हिस्से को भी रखा जाता है। ऐसा मानते है कि इस प्रकार स्वंय भगवान विष्णु विवाह के साक्षी बने है। - बांस या सरपत
बांस का अर्थ है वंश, बांस को वंशवृद्धि का घोतक माना गया है। मंडप में इसकी उपस्थिति नवयुगल के जीवन में जल्द ही आगामी शुभ सूचना को इंगित करती है। बांस को किसी प्रकार की देखभाल की जरूरत नही होती, ये जहाँ होता है वहाँ प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बढ़ता जाता है। इसलिए नवयुगल किसी भी प्रकार के सुख दुख में परस्पर प्रेम से रहे इसका प्रतिकरूप होता है बांस। - चूल्हा
चूल्हा गृहस्थ जीवन को दर्शाता है, इसे इसलिए रखा जाता है ताकि नवयुगल के जीवन मे कभी धन धान्य की कमी ना हो। - कलश
कलश का विवाह मंडप में बहुत ही मुख्य स्थान है। पंडित कलश की स्थापना कर मन्त्रो के द्वारा देवताओ का आह्वान करते है। ऐसी मान्यता है कि ये देवता विवाह के साक्षी बनकर नवयुगल को आशीर्वाद दे एक सुखी जीवन के द्वार खोलते है। पुराने समय मे विवाह के पश्चात मंडप को शुभ मुहूर्त विसर्जित किया जाता था, अब विवाह के बाद मजदूर ही मंडप को तुरन्त हटा देते है। पुरानी परंपरा और मान्यताओं को भूलना सही नही है।
- हवन सामग्री 1 किलो
वैसे तो सामग्री बनी बनाई मिलती है, पर वैदिक रीति के अनुसार प्रयोग होने वाला सामान उसमे ना के बराबर होता है। क्योंकि आजकल सामग्री में भी मिलावट होने लगी है, बाजार वाली सामग्री में चन्दन की जगह लकड़ी का बुरादा, सफेद चंदन और पीले चन्दन में मुल्तानी मिट्टी की मिलावट की जाती है।
गूलर, पीपल, नीम, आक, कुशा, कत्था, दूर्वा, केवल यही चीज़े डालते है। आप सब सामान लाकर उसे एक जगह मिला सकते हो ताकि विवाह मंडप शुद्ध सामग्री से पूर्ण रूप से सात्विक हो जाए। ये सभी चीज़े पंसारी की दुकान पर आराम से मिलती है। - काले तिल
- सफेद तिल
- इन दोनों के आधे चावल
- चावल का आधा जौं
- जौं का आधा बूरा
- इस सबका टोटल मिलाकर घी
- अन्य सामग्री है, पंचमेवा, सर्वोषधि पिसी हुई, आमा हल्दी, दारू हल्दी, बचकूट, जटामासी, अगरतगर, छआर छबीला, नांगल मोथा, बाल झड़ गिलोय, इंद्र जौं , लाल चन्दन, सफेद चंदन, इलायची, लौंग, केसर, भोजपत्र, छुआरे, कच्ची खांड, पीली सरसों, काली सरसो, गूग्गल, कमलगट्टा, बेलपत्र,
- एक किलो आम की लकड़ी
- देसी घी
- कपूर
- नारियल
- जौं
- मौली
- छुआरे
- हल्दी की गांठ
- चावल
- दही
- शहद
- खील
- गठबंधन चीर(दो कपड़े जिनसे गठबंधन किया जाता है)
- पत्थर का टुकड़ा(शिलारोहण के लिए)
- गुलाब गेंदा के फूल
- धूप अगरबत्ती आलू(अगरबत्ती टिकने के लिए)
- माचिस, रुई
- मिठाई, फल(5 तरह के जिसमे केला जरूर हो)
- जयमाला
- सिंदूर, मंगलसूत्र
- चौकी, विवाह वेदी मंडप
- 5-5 कटोरी, थाली, चम्मच( स्टील के बने)
- जल रखने को लोटा( तांबे और स्टील का) स्टील के गिलास, घी रखने का डोंगा
- शक्कर
- पूजा के लिए थाली
- चन्दन पाउडर
- पान के पत्ते
- आटा
- पिसी हल्दी
- बरी पूरी का सामान(ये सामान लड़के वालों की तरफ से लड़की को फेरो पर दिया जाता है, इसमे सूखे मेवे, गोला, टॉफी, बड़े बताशे, कलावा, मिश्री के कुंजे और मिठाई होती है)
- कटोरदान(लड़के वाले मंडप में लेकर जाते है जिसमे विवाह के बाद लड़की की सास के लिए मिठाई आती है), इसमे बताशे, मेहंदी, कलावा, छुआरे, सामग्री(हवन के लिए) होती है।
इसके अलावा लड़के वाले फेरो पर लड़की के मोजे, सफेद चादर(हल्दी लगी हुई) चुनरी, मोहरी, चांदी का छल्ला, पायल, चूड़ी भी लेकर जाते है। - बरेनुया ये बना बनाया मिलता है, इसे घर का दामाद या बहनोई मंडप में बांधता है।
ऐसी मान्यता है कि ये देवता विवाह के साक्षी बनकर नवयुगल को आशीर्वाद दे एक सुखी जीवन के द्वार खोलते है।
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