विवाहित स्त्री सिन्दूर केवल सुंदरता बढ़ाने के लिए ही नहीं लगाती बल्कि माथे पर सिंदूर लगाने के पीछे कुछ पौराणिक कथाए व वैज्ञानिक कारण भी हैं। हिन्दू धरम के अनुसार मांग में सिंदूर भरना एक वैवाहिक संस्कार है।
तो आइए जानते है माथे पर सिन्दूर लगाने के पीछे की पौराणिक कथाए व वैज्ञानिक कारण।
सिन्दूर लगाना क्यों जरुरी है?
पौराणिक कथाए
ऐसा कहा जाता है की रामायण के समय में सुग्रीव बाली युद्ध के दौरान श्री राम के बाली को ना मरने पर सुग्रीव ने उनसे पूछा की प्रभु अपने बाली को क्यों नहीं मारा।
श्रीराम ने उत्तर दिया कि तुम्हारी और बाली की शक्ल एक सी है, मैं तुम्हे पहचान नहीं सका इसीलिए मैंने वार नहीं किया। किंतु यह पूरा सच नहीं है। ऐसा सम्भव ही नहीं है की भगवान श्रीराम किसी को पहचान ना सकें या उसे पहचानने में कोई चूक करे।
असल बात तो यह थी कि जैसे ही श्रीराम बाली को मारने वाले थे तो उनकी नजर अचानक बाली की पत्नी तारा की सिन्दूर से भरी हुई मांग पर पड़ी। तब सिंदूर का सम्मान करते हुए श्री राम ने बाली को नहीं मारा।
ये भी पढ़े : शादी में हल्दी की रस्म क्यों की जाती है
हिन्दू धर्म में देवी सती और देवी पार्वती की ऊर्जा को लाल रंग से जोड़ा गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार सती एक आदर्श पत्नी है जो अपने पति के लिए अपने जीवन का त्याग सकती है। हिंदुओं का मानना है कि सिंदूर लगाने से देवी पार्वती ‘अखंड सौभागयवती’ होने का आशीर्वाद देती हैं।
रोचक बातें
सिन्दूर से कुछ रोचक बाते भी जुडी है जो आप शायद ही जानते हो।
• शादीशुदा होकर भी सिंदूर ना लगाना अशुभ माना जाता है।
• ऐसा माना जाता है की यदि पत्नी अपनी मांग के बीचो-बीच सिंदूर लगाती है तो उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं हो सकती है।
• कहा जाता है कि सिंदूर पति को संकट से बचाता है।
• एक और मान्यता के अनुसार यदि स्त्री अपनी मांग के बीच में लंबा सिन्दूर लगाती है तो उसके पति की आयु भी लंबी होती है।
ये भी पढ़े : शादी में खेले ये अतरंगी खेल हंस हंस कर थक जाएंगे
वैज्ञानिक तथ्य
विज्ञान के अनुसार सिर के जिस स्थान पर सिंदूर लगाया जाता है उसे ब्रह्मरंध्र कहा जाता है। यह स्थान बहुत ही कोमल होता है। सिन्दूर में पायी जाने वाली पारा नमक धातु ब्रह्मरंध्र के लिए दवा का काम करती है। इसीलिये सिंदूर महिलाओं को हमेशा चिंतामुक्त रखता है। माथे पर सिंदुर लगाने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और साथ ही पारा चेहरे पर झुर्रियां पड़ने से भी रोकता है।
किसी भी कन्या के विवाह के बाद गृहस्थी का सारा दबाव उसी आता है। ऐसे में आमतौर पर स्त्री को तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी कई बीमारियां घेर लेती हैं। सिंदूर में मिलने वाला पारा मष्तिष्क के लिए लाभकारी होता है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है, तनाव कम करता है और दिमाग को शांत रखता है। इतना ही नहीं सिंदूर में हल्दी और चूना भी होता है जो की मष्तिष्क के लिए लाभकारी है।
सिंदूर का लाल रंग खून और आग का प्रतीक होता है और यह सिर के बीचों-बीच मांग में लगाया जाता है जहां शरीर की मुख्य नसें स्थित होती हैं। इससे शरीर के चक्र सक्रिय हो जाते हैं जिससे शरीर में पॉजिटिविटी का संचार होता है।
[/vc_column_text][amazon box=”B07HMQNZJ3,B07DQNJDVX,B06ZZC2913” grid=”3″] [/vc_column_text][/vc_column][/vc_row][vc_message icon_fontawesome=”fa fa-smile-o”]ये भी पढ़े : आखिर क्यों पहनती है पंजाबी दुल्हन चूड़ा और कलीरें
[/vc_message]परन्तु आजकल बाजार में मिलने वाले सिंदूर में काफी मात्रा में केमिकल्स होतेहै जैसे की लेड ऑक्साइड, सिन्थेटिक डाई और सल्फेट। सिन्थेटिक डाई से आपके बाल झड़ने लगते हैं। लेड ऑक्साइड त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और सल्फेट से कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो केमिकल युक्त सिंदूर लगाने से आपके बच्चे को भी खतरा हो सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप नेचुरल तरीके से तैयार सिंदूर का ही इस्तेमाल करें.
सिंदूर कैसे लगाए?
एक मानयता के अनुसार यदि पत्नी के मांग के बीचो-बीच सिंदूर लगा हुआ है, तो उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं हो सकती है। माना जाता है कि यह सिंदूर उसके पति को संकट से बचाता है।
एक अन्य मानयता के अनुसार सिंदूर लंबा और ऐसे लगाएं कि सभी को दिखे। ऐसा मन जाता है जो स्त्री अपने मांग के सिंदूर को बालों में छिपा लेती है उसके पति को समाज में सम्मान नहीं मिलता है।
एक और मान्यता के अनुसार जो स्त्री बीच मांग में सिंदूर लगाने की बजाय किनारे की तरफ सिंदूर लगाती है, तो ऐसा कहा जाता है की पति-पत्नी के आपसी रिश्तों में मतभेद ही बना रहता है।
[/vc_column_text][amazon box=”B07HMQNZJ3,B07DQNJDVX,B06ZZC2913” grid=”3″] [/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]